Unicofact

The X - Factor

Wednesday, 22 August 2018

Ranthambhor fort - Trinetra ganesh temple

नमस्कार दोस्तों ,
                      आप सभी को सबसे पहले तो ईद मुबारक..
दोस्तों ,
           आज में आपको बताऊंगा भगवन श्री गणेश जी के बारे में कुछ रोचक तथ्य , आज ईद के इस ख़ास मौके पर मुझे मौका मिला राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले स्थित रणथम्भोर किले में जाने का ये रणथम्भोर  किला अपने आप में भारत की प्राचीन विरासत को समेटे हुए हैं , इस किले में आपको भारतवासियों की एकता का अद्भुत संगम दिखाई देता हैं  क्योकि यहाँ आपको श्री गणेश जी का मंदिर भी मिलेगा, मस्जिद भी मिलेगी और प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर भी मिलेगा | 



          तो आज में आपको बताने जा रहा हूँ रणथम्भोर किले स्थित भगवन श्री गणेश जी के त्रिनेत्र मंदिर के बारे गणेश जी का यह मंदिर कई मामलों में अनूठा है। इस मंदिर को भारतवर्ष का ही नहीं विश्व का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। यहां गणेश जी की पहली त्रिनेत्री प्रतिमा विराजमान है। लोक मान्यता है कि भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र उत्तराधिकारी स्वरूप सौम पुत्र गणपति को सौंप दिया था और इस तरह महादेव की सारी शक्तियाँ गजानन में निहित हो गई। यह प्रतिमा स्वयंभू प्रकट है। देश में ऐसी केवल चार गणेश प्रतिमाएं ही हैं। हम आपको इस मंदिर के और करीब लिए चलते हैं...इसे रणतभंवर मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर 1579 फीट ऊंचाई पर अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में स्थित है। सबसे बड़ी खासियत यह यहां आने वाले पत्र। घर में शुभ काम हो तो प्रथम पूज्य को निमंत्रण भेजा जाता है। इतना ही नहीं परेशानी होने पर उसे दूर करने की अरदास भक्त यहां पत्र भेजकर लगाते है। रोजाना हजारों निमंत्रण पत्र और चिट्ठियां यहां डाक से पहुंचती हैं।  


         महाराजा हम्मीरदेव चौहान व दिल्ली शासक अलाउद्दीन खिलजी का युद्ध 1299-1301 ईस्वी के बीच रणथम्भौर में हुआ। इस दौरान नौ महीने से भी ज्यादा समय तक यह किला दुश्मनों ने घेरे रखा। दुर्ग में राशन सामग्री समाप्त होने लगी तब हमीरदेव चौहान की प्रार्थना फलस्वरूप गणेशजी ने हमीरदेव चौहान को स्वप्न में दर्शन दिए और उस स्थान पर पूजा करने के लिए कहा जहां आज यह गणेशजी की प्रतिमा है। हमीर देव वहां पहुंचे तो उन्हे वहां स्वयंभू प्रकट गणेशजी की प्रतिमा मिली। हमीर देव ने फिर यहां मंदिर का निर्माण कराया। 
          त्रिनेत्र गणेश जी का उल्लेख रामायण काल और द्वापर युग में भी मिलता है। कहा जाता हैं कि भगवान राम ने लंका कूच से पहले गणेशजी के इसी रूप का अभिषेक किया था। एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण का विवाह रूकमणी से हुआ था। इस विवाह में वे गणेशजी को बुलाना भूल गए। गणेशजी के वाहन मूषकों ने कृष्ण के रथ के आगे—पीछे सब जगह खोद दिया। कृष्ण को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने गणेशजी को मनाया। तब गणेशजी हर मंगल कार्य करने से पहले पूजते है। कृष्ण भगवान ने जहां गणेशजी को मनाया वह स्थान रणथंभौर था। यही कारण है कि रणथम्भौर गणेश को भारत का प्रथम गणेश कहते है। कहा जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहां गणेश जी अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है। देश में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते है, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। 


      यहां भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी को मेला आयोजित होता है जिसमें लाखों भक्त गणेशजी के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते है। इस दौरान यहां पूरा इलाका गजानन के जयकारों से गूंज उठता है। भगवान त्रिनेत्र गणेश की परिक्रमा 7 किलोमीटर के लगभग है। जयपुर से त्रिनेत्र गणेश मंदिर की दूरी 142 किलोमीटर के लगभग है।  


       रणथंभौर गणेशजी का मंदिर प्रसिद्ध रणथंभौर टाइगर रिजर्व एरिया में स्थित है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। बारिश के दौरान यहां कई जगह झरने फूट पड़ते है और पूरा इलाका रमणीय हो जाता है। यह मंदिर किले में स्थित है और यह किला संरक्षित धरोहर है। जब यहां गणेशजी का मेला आयोजित होता है तो आस्था देखते ही बनती है। आसपास के जिलों से कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर भक्त मंदिर के दर्शन के लिए आते है।


              तो दोस्तों ये बात थी भारत के लोगों की आस्था और विरासत के प्रतिक त्रिनेत्र गणेश मंदिर के बारे में | आपको आज का मेरा ये लेख कैसा लगा , जरुर बताये इसके लिए आप मुझे ईमेल कर सकते हैं या कमेंट बॉक्स में लिख कर सकते हैं .. . और इस ब्लॉग के बारे में अपने सुझाब मुझे देते रहिये....

धन्यवाद

No comments:

Post a Comment